अब हाइड्रोजन सीएनजी से दिल्ली में दौड़ेंगी बसें, प्रदूषण में भी आएगी कमी
सार
- स्वच्छ ईंधन से प्रदूषण में 18 फीसदी तक आएगी कमी
- 50 क्लस्टर बसों से योजना की जल्द होगी शुरुआत
विस्तार
दिल्ली में जल्द ही हाइड्रोजन सीएनजी(एच सीएनजी) से बसें दौड़ेंगी। बढ़ते प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए देश में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 50 क्लस्टर बसों में एच सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा। बसों में इस ईंधन के इस्तेमाल से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 50 फीसदी तक की कमी आएगी।
इससे प्रदूषण में 18 फीसदी तक कमी आने की संभावना है। इसके बाद कई चरणों में सभी बसों में एच सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए राजघाट डिपो पर एक फिलिंग स्टेशन भी तैयार कर लिया गया है। यहां दो डिस्पेंसर लगाए गए हैं।
डीआईएमटीएस के प्रबंधक दीपक अग्रवाल के मुताबिक इंडियन ऑयल के सहयोग से पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा करने के बाद पंप शुरू करने की तैयारी तकरीबन पूरी हो चुकी है। अग्निशमन विभाग की मंजूरी मिलने के बाद 50 क्लस्टर बसें एच सीएनजी से दौड़ेंगी। बसों में इस ईंधन के इस्तेमाल से पर्यावरण स्वच्छ होगा जबकि क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इससे कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। फिलहाल, नॉन एसी बसों में एच सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा। डीआईएमटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अगर पायलट आधार पर बसों के परिचालन के परिणाम सकारात्मक हुए तो चरणबद्ध तरीके से सभी बसों में हाइड्रोजन सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
इससे प्रदूषण में 18 फीसदी तक कमी आने की संभावना है। इसके बाद कई चरणों में सभी बसों में एच सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए राजघाट डिपो पर एक फिलिंग स्टेशन भी तैयार कर लिया गया है। यहां दो डिस्पेंसर लगाए गए हैं।
डीआईएमटीएस के प्रबंधक दीपक अग्रवाल के मुताबिक इंडियन ऑयल के सहयोग से पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा करने के बाद पंप शुरू करने की तैयारी तकरीबन पूरी हो चुकी है। अग्निशमन विभाग की मंजूरी मिलने के बाद 50 क्लस्टर बसें एच सीएनजी से दौड़ेंगी। बसों में इस ईंधन के इस्तेमाल से पर्यावरण स्वच्छ होगा जबकि क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इससे कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। फिलहाल, नॉन एसी बसों में एच सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा। डीआईएमटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अगर पायलट आधार पर बसों के परिचालन के परिणाम सकारात्मक हुए तो चरणबद्ध तरीके से सभी बसों में हाइड्रोजन सीएनजी का इस्तेमाल किया जाएगा।